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किलों का शहर – सासाराम || रोहतासगढ़ क़िला || शेरगढ़ का किला

किलों का शहर – सासाराम || रोहतासगढ़ क़िला || शेरगढ़ का किला

सासाराम का इतिहास बहुत गौरवशाली है और यह शहर कुछ बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतों का गढ़ कहा जा सकता है।इस प्राचीन शहर ने बहुत से शक्तिशाली शासकों का शासन देखा है और शेरशाह सूरी के शासन काल के दौरान इस शहर ने अपना स्वर्णिम युग भी जिया है। यहां आपको बहुत सी ऐसी प्राचीन इमारतें देखने को मिलेंगी, जिनका इतिहास हिन्दुमुस्लिम धर्मों से जुड़ा है। 

रोहतासगढ़ क़िला

मुख्य शहर से करीब 39 किमी की दूरी पर स्थित यह किला भारत में किसी पहाड पर बने सबसे भव्य और मजबूत किलों में से एक है। पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर चार मील, उत्तर से दक्षिण की ओर पांच मील तक फैला यह विशाल किला कुल मिला कर इस पहाड़ का 28 मील का हिस्सा अपने अंदर समेटे हुए है। प्राचीन काल में यह किला मुगल सम्राट शाहजहां, मीर कासिम, राजा मानसिंह और शेरशाह सूरी के परिवार तथा खजाने को सुरक्षित रखने का अहम स्थान हुआ करता था।

शेरगढ़ का किला

बिहार के रोहतास जिले के पास अफगान शासक शेरशाह सूरी का किला है, जिसेशेरगढ़ का किलाकहते हैं। 500 साल पुराने इस इस किले में सैकड़ों सुरंग और तहखाने हैं। कहा जाता है कि यहां शेरशाह सूरी का शाही खजाना दबा हुआ है। इस किले के तहखाने इतने बड़े हैं कि उनमें एक साथ 10 हजार लोग आ सकते हैं। शेरशाह ने इसे दुश्मनों से खुद की सुरक्षा के लिए बनवाया था। लेकिन मुगल शासक हुमायूं ने शेरशाह सूरी के हजारों सैनिकों के इसी तहखाने में फंसा कर मार डाला था।

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