बिहार में शराबबंदी का सच
शहरी मोहल्ले हो या फिर सुदूरवर्ती गांव। चारों ओर शराबबंदी-नशामुक्ति का नारा है। शराब घरों को उजाड़ देती है, जबकि शराबबंदी टूटे घरों को बसा देती है। बिहार में शराब का प्रयोग बंद कर दिया गया है पर यह कदम किसी भी सरकार के लिए बहुत आसान नहीं था। इसके कारण शराबी तथा शराब के विपणन से लाभ लेने वाले सारे लोगों का प्रारंभिक विरोध सरकार को झेलना पड़ा, राजनितिक स्वार्थ के वजह से अपने आप को नेता कहने वाले कुछ कुबिचारी लोग तो खुल के अपने भाषण या वक्तव्य के माध्यम से इस कदम का विरोध कर रहें है । आज हम जानेंगे बिहार में शराबबंदी का सच। वस्तुतः वे शराब के तिजारत से लाभान्वित हों या न हों, शराब बंदी से उन्हें भी भले ही लाभ मिल रहा हो परन्तु उन्हें तो विरोध करना है क्योंकी उन्हें सरकार का विरोध करना है भले ही ही वह कदम कितना भी अच्छा ही क्यों न हो। जनसमुदाय के लाभ से उन्हें क्या लेना -देना, उन्हें तो अपनी रोटी सेंकनी है। पर जो जनता उन्हें सत्ता में पहुंचाते हैं और उन्हें उस सुख को भोगने का मौका देते हैं जिनसे वे सड़क से उठकर आलीशान जिंदगी जीते हैं उनको ये नेता सुखी क्यों नहीं देखना चाहते ?