Bhimbandh || भीमबाँध वन्य अभयारण्य || Bhimbandh Wildlife Sanctuary
Bhimbandh || भीमबाँध वन्य अभयारण्य || Bhimbandh Wildlife Sanctuary
मुंगेर जिले के भीमबांध वन्य जीवन अभयारण्य, अपने वनस्पतियों और जानवरों के दुर्लभ प्रजातियों के लिए बेहद प्रसिद्ध है। मनोरम पहाड़ियों, प्राकृतिक वादियों और घने जंगलों से घिरे भीमबांध में गर्म जल के असीम श्रोत हैं। इन धाराओं को समेटकर स्नान के लिए बनाये गए ये कुंड यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। खड़गपुर जंगल के अंदर पहाड़ियों से घिरे प्राकृतिक झरने का ये स्थल बेहद दर्षनीय है। ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ने यहां एक बांध का निर्माण किये थे, जिसके अवषेष आज भी यहां देखे जा सकते हैं। इसी लिए इसे भीमबांध कहा जाता है।
ये ना केवल बिहार, बल्कि आस पास के कई राज्यों के प्राकृतिक प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। जाड़े के मौसम में भीमबांध से बेहतर पर्यटन केन्द्र पूरे बिहार में नहीं है। वैसे तो यहां सैलानी सालों भर आते हैं। लेकिन जैसे जैसे पूस की ठढ़ बढ़ती है वैसे – वैसे भीमबांध में ईको टूरिज्म के प्रति लोगों का उत्साह अपने चर्म पर होता है। खासकर युवाओं की धड़कने तेज हो जाती है। नवंबर से लेकर फरवरी माह तक सैलानी इन प्राकृतिक जल कुंड की ओर खासे आकर्षित होते हैं।
भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य 681.99 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। यहां कई प्रकार के जानवर आपका स्वागत के लिए हमेसा तैयार रहते हैं उनमें बाघ, तेंदुए, बंदर, हिरण प्रमुख है। प्रवासी मौसम में यहां के दृष्य देखने लायक होती है जब मध्य ऐषिया से बहुत बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां आकर प्रवास करते हैं।
ये अभयारण्य अपने जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है, सैल, सलाई, अस, बहेरा, अर्जुन, महुआ के पेड़ भीमबांध में मुख्य रूप से मिलते है। इतना ही नहीं भीमबांध में कई बहुमूल्य जड़ी-बुटियां और इमारती लकड़ियां भी मिलती है।
भीड़ भाड़ वाली जगह से कोसो दूर इस अभयारण्य में आना बेहद रोमांचक है। ना कोई प्रदूषण और ना कोई शोर-षराबा। बस जिधर भी नजरे घुमाये चारो ओर हरे भरे ये वन यहां आने वाले हर सैलानि का मन मोह लेती है। यहां एक तरफ पहाड़ हैं तो दूसरी तरफ गर्म जल के झड़ने, जंगल की हरयाली है तो जानवरों को स्वतंत्र घूमते देखने का एडवेंचर। इस पूरे इलाके में प्रकृति की नेमत बरसती है।