कुशल प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में मिलेगा काम
परदेस से वापस लौटे कुशल श्रमिकों की जिदगी में परिवर्तन का रंग घोलने की तैयारी में सरकार ने पहला कदम बढ़ा दिया है। जिला औद्योगिक नव परिवर्तन निधि के तहत घर आए दूसरे प्रदेशों के प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार उद्योग लगाएगी। कुशल प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में काम मिले, इसके लिए सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है की हर इकाई में न्यूनतम 10 मजदूर व अधिकतम 50 मजदूरों को रोजगार मिलेगा। इसके लिए सरकार की ओर से एक इकाई पर 10 लाख रुपये तक खर्च की जाएगी।
बिहार के हर जिले में छोटे उद्योग खोले जाने का सिलसिला शुरू हो गया है।सभी 38 जिलों में अभी तक 189 छोटे उद्योग चिन्हित हो चुके हैं। इन सभी छोटे उद्योगों में प्रवासी श्रमिकों का समूह बनाकर उन्हें रोजगार दिया जा रहा है। हरेक समूह पर 10 लाख रुपए खर्च किए जाने हैं।
जिला औद्योगिक नव प्रवर्तन योजना
जिला औद्योगिक नव प्रवर्तन योजना के तहत चार क्षेत्रों में पांच लघु उद्योग केंद्र स्थापित होंगे। इनमें पेवर ब्लॉक के लिए अथमलगोला, फ्लाई एश ब्रिक के लिए बख्तियारपुर, रेडीमेड गारमेंट्स के लिए बिहटा, मशीन फेब्रिकेशन के लिए बिहटा और रंगाई के लिए विक्रम में जगह चिह्नित की जा रही है। इन केंद्राें में काम करने वाले मजदूरों में आधे प्रवासी और आधे स्थानीय होंगे। बेगूसराय और कैमूर में तो चार जगह काम शुरू होने का दावा भी उद्योग विभाग ने किया है।
कार्य के दक्षता के अनुरूप परियोजना लगाने की रहेगी छूट
लॉकडाउन के बाद अपने घर लौटे कुशल कारीगर को पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर उसके ट्रेड के मुताबिक समुह बनाकर उनकी कार्य के दक्षता के अनुरूप परियोजना लगाने के लिए सरकार उसे प्राथमिक पूजीं के रूप में 10 लाख रुपए देगी। जिससे उनको काम के लिए गांव छोड़कर बाहर नहीं जाना पड़े।
बाजार उपलब्ध होगा
राज्य सरकार ने इस योजना के तहत स्थापित इकाइयों के फारवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज को भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। ताकि यह इकाइयां लंबे समय तक कार्यरत रह सकें। मतलब इन इकाइयों को न तो कच्चे माल की कोई दिक्कत हो और न ही इनके द्वारा तैयार माल को बाजार की।